आज तेरी बाँहों में दम नहीं तो क्या हुआ,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से उठेगा,
आज तेरे कदमों में वो ताकत नहीं तो क्या हुआ,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
ये माना कि तेरे पास समय का वो हिस्सा नहीं,
ये माना कि आज तेरे पास पुश्तैनी हिम्मतों का किस्सा नहीं,
तेरा जकड़ा हुआ हाथ कल फिर से खुलेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
जो ग़म है तेरे पास वो सिर्फ तेरा नहीं,
जो खुशियाँ है मेरे पास वो सिर्फ मेरा नहीं,
फिर क्यूँ भिगोता है बिस्तर आँसूओं से तू,
फिर क्यूँ चुभोता है काँटे अपनी खुशियों को तू
तेरा छलकता हुआ आँसू कल फिर से थमेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
तू खुद जीना चाहता है अपनी तनहाईयों में,
या खुद मरना चाहता है अपनी रुसवाईयों में,
क्या सिर्फ तुझे ही मरने का हक़ है दुनिया में,
या सिर्फ मुझे ही जीने का हक़ है दुनिया में,
तेरा जमा हुआ लहू कल फिर से बहेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
कल फिर आइने में इक सूरत होगा तेरा,
कल फिर दुनिया को जरूरत होगा तेरा,
तू उदास क्यूँ सोया है अपने ही आशियाँ में,
तू गया क्यों नहीं कल से अपने ही गुलिस्ताँ में,
तेरा भारी हुआ पलक कल फिर से जगेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
तेरी कश्ती को इन्तजार है तेरे ही साहिलों को,
तेरे कदमों को इन्तजार है तेरी ही मंजिलों को,
तू क्यूँ उलझा हुआ है दुनिया की बातों में,
तेरे रास्तों को रोका है समय के काँटों नें,
ये कंटक तेरे संचित हिम्मतों से ही हटेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से जगेगा...
ये वादा है मेरा तू कल फिर से उठेगा...
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
25/11/2011 राकेश 'गगन'
ये वादा है मेरा तू कल फिर से उठेगा,
आज तेरे कदमों में वो ताकत नहीं तो क्या हुआ,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
ये माना कि तेरे पास समय का वो हिस्सा नहीं,
ये माना कि आज तेरे पास पुश्तैनी हिम्मतों का किस्सा नहीं,
तेरा जकड़ा हुआ हाथ कल फिर से खुलेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
जो ग़म है तेरे पास वो सिर्फ तेरा नहीं,
जो खुशियाँ है मेरे पास वो सिर्फ मेरा नहीं,
फिर क्यूँ भिगोता है बिस्तर आँसूओं से तू,
फिर क्यूँ चुभोता है काँटे अपनी खुशियों को तू
तेरा छलकता हुआ आँसू कल फिर से थमेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
तू खुद जीना चाहता है अपनी तनहाईयों में,
या खुद मरना चाहता है अपनी रुसवाईयों में,
क्या सिर्फ तुझे ही मरने का हक़ है दुनिया में,
या सिर्फ मुझे ही जीने का हक़ है दुनिया में,
तेरा जमा हुआ लहू कल फिर से बहेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
कल फिर आइने में इक सूरत होगा तेरा,
कल फिर दुनिया को जरूरत होगा तेरा,
तू उदास क्यूँ सोया है अपने ही आशियाँ में,
तू गया क्यों नहीं कल से अपने ही गुलिस्ताँ में,
तेरा भारी हुआ पलक कल फिर से जगेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
तेरी कश्ती को इन्तजार है तेरे ही साहिलों को,
तेरे कदमों को इन्तजार है तेरी ही मंजिलों को,
तू क्यूँ उलझा हुआ है दुनिया की बातों में,
तेरे रास्तों को रोका है समय के काँटों नें,
ये कंटक तेरे संचित हिम्मतों से ही हटेगा,
ये वादा है मेरा तू कल फिर से जगेगा...
ये वादा है मेरा तू कल फिर से उठेगा...
ये वादा है मेरा तू कल फिर से चलेगा...
25/11/2011 राकेश 'गगन'
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