मनमोहन की बात निराली देश-दिशा भरमावै,
चिकनी-चुपड़ी बात सोनिया पगड़ी तले सुनावै,
सब कहतें हैं कठपुतली हैं मेरे मनमोहन जी,
बात अहम सरदार जानते अपनी अकल छिपावै,
महँगाई की मार झेलकर जन-मानस है हारा,
बजट दिखाकर देशहित में अपना पिण्ड छुड़ावै,
आम बजट से आस लगाये कहें प्रणव दादा से,
मेरी नैया पार लगाके क्यों आखिर पछतावै,
कहे गगन उड़ लो आखिर तुम बाद में पछतावोगे,
हो जायेगी जब्त ज़मानत अन्त भला तो आवै ।
राकेश गगन(04/05/2012)
मेरे सभी सहित्यप्रेमी बन्धुओं व ब्लाग विजिटक को बासन्तिक नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,
ReplyDeleteमेरे सभी सहित्यप्रेमी बन्धुओं व ब्लाग विजिटक को बासन्तिक नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,
ReplyDeleteमेरे सभी सहित्यप्रेमी बन्धुओं व ब्लाग विजिटर को बासन्तिक नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,
ReplyDelete