किसने कल गहरी नींद से जगाया था,
आधी रात को मुझे बेवजह बुलाया था,
कौन था मेरे खो जाने की खुशी में,
किसने मेरी मौत का धुँवा उड़ाया था,
हम थे तनहाईयों में अच्छे भले,
किसने मेरी यादों को रात-दिन सताया था,
लो अब रूठने वालों की फेहरिस्त बढ़ गयी,
आज वही रूठा है जिसने मुझे मनाया था,
वो जिन्दगी से हार मानने वालें हैं,
जिसने साथ निभाने का क़सम खाया था,
हम भी कबतलक़ मिट गये होते ऐ दोस्तों,
पर अश्क़ों की बूँदों को पलकों में छुपाया था,,,,
28/03/2012- राकेश "गगन"
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